Information Technology Act (IT ACT) – 2000
IT ACT-2000, 9 जनवरी 2000 को पेश किया गया था।
30 जनवरी 1997 को संयुक्त राष्ट्र की जनरल एसेंबली में एक प्रस्ताव द्वारा सूचना तकनीक की नियमावली पेश किया गया जिसे यूनाइटेड नेशंस कमीशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड लॉ भी कहा जाता है।
संयुक्त राष्ट्र की इस नियमावली मेंं communications के लिए सूचना तकनीक या काग़ज़ के इस्तेमाल को एक समान महत्व दिया गया है तथा सभी देशों को इसे मानने के लिए कही गई है।
इस क़ानून में सभी देशों से यह अपेक्षा की जाती है कि सूचना के एक जगह से दूसरी जगह भेजने और उसके स्टोर के लिए काग़ज़ की जगह कोई अन्य माध्यमों के रूप में इस्तेमाल की जा रहीं तकनीकों से संबंधित कोई भी क़ानून बनाने या उसे संशोधित करते समय वे इस एक्ट के प्रावधानों का ध्यान रखेंगे, ताकि सभी देशों के कानूनों में एकरूपता बनी रहे।
इसी के बाद भारत मे सूचना कानून अधिनियम 2000 लाया गया ।
यह IT ACT, पहली बार 17 अक्टूबर 2000 को लागू हुआ । इसमें कुल 13 अध्याय एवम 94 धाराएं हैं।
सूचना तकनीक क़ानून, 2000 में हर ऐसे लेनदेन को क़ानूनी मान्यता देने की बात कही गई है, जो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के दायरे में आता है और जिसमें सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए सूचना तकनीक का इस्तेमाल हुआ हो।
27 अक्टूबर 2008 को इस क़ानून में पहली बार संशोधन किया गया। पुनः 5 फ़रवरी 2009 को फिर से संशोधित किया गया, इस संशोधन के अंतर्गत अध्याय 2 की धारा 3 में इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर के स्थान पर डिजिटल हस्ताक्षर कर दिया गया।
इसके अनुसार, सूचना के माध्यम से मतलब मोबाइल फोन या किसी भी तरह का डिजिटल तरीके हो सकते हैं, जिनके माध्यम से किसी भी तरह की टेक्स्ट, वीडियो, ऑडियो या तस्वीरों को एक से दूसरे स्थान तक भेजा जा सकता है।
New I T Act-2021
सर्वोच्च न्यायालय ने 11 दिसम्बर, 2018 के एक आदेश में कहा था कि सामग्री उपलब्ध कराने वाले प्लेटफॉर्म और अन्य अनुप्रयोगों में चाइल्ड पोर्नोग्राफी, रेप और गैंगरेप की तस्वीरों, वीडियो तथा साइट को खत्म करने के लिये भारत सरकार आवश्यक दिशा-निर्देश तैयार कर सकती है।
राज्यसभा की एक समिति ने सोशल मीडिया अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा ऐसी सामग्री के मूल निर्माता की पहचान किये जाने की सिफारिश की।
यह नियम मुख्य रूप से सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप (Over-The-Top-OTT) प्लेटफार्मों हेतु लाए गए हैं।
[Over-The-Top-OTT-इन प्लेटफार्मों पर विडियो स्ट्रीमिंग की जाती है। जैसे Covid-19 के दौरान बॉलीवूड की सभी films, Hot star, Amazon, Sony Live, MX Player इत्यादि पर ऑनलाइन discharge हो रही थी ऐसे प्लेटफार्मों को ही OTT प्लेटफार्मों कहते है।]
इन नियमों को सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000 की धारा 87 (2) के तहत तथा पूर्व सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्थाननों - जैसे Face book, Twitter, इत्यादि के लिये दिशा-निर्देश) नियम 2011 के स्थान पर लाया गया है।
सरकार द्वारा वीडियो स्ट्रीमिंग ओवर-द-टॉप [Video Streaming Over-The-Top (OTT)] प्लेटफॉर्म को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाया गया
इस नियम के अनुसार, OTT प्लेटफॉर्म को ऑनलाइन चयनित सामग्री का प्रकाशक कहा जाता है, इस सामग्री को पाँच आयु आधारित श्रेणियों-U (यूनिवर्सल), U/A 7+, U/A 13+, U/A 16+ और A (वयस्क) में वर्गीकृत किया जाएगा।
U/A 13+ या उससे ऊपर की श्रेणी के लिये OTT प्लेटफॉर्म पर पैरेंटल लॉक का फीचर देना होगा और A श्रेणी के कंटेंट के लिये आयु को वेरिफाई करने का बेहतर मैकेनिज़्म तैयार करना होगा।
मानव समाज के विकास के नज़रिए से सूचना और संचार तकनीकों की खोज को बीसवीं शताब्दी का सबसे महत्वपूर्ण अविष्कार हो सकता है। सामाजिक विकास के अलग अलग क्षेत्रों में विशेषकर न्यायिक प्रक्रिया में इसके प्रयोग की महत्ता अत्यधिक हो सकती है, क्योंकि इसकी तेज़ गति, कई छोटी-बड़ी द़िक्क़तों से छुटकारा, गलतियों की कमी, कम ख़र्चीला होना जैसे गुणों के चलते यह न्यायिक प्रक्रिया को विश्वसनीय बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है। इतना ही नहीं, ऐसे मामलों के निष्पादन में, जहां सभी संबद्ध पक्षों की शारीरिक उपस्थिति अनिवार्य न हो, यह सर्वश्रेष्ठ विकल्प सिद्ध हो सकता है।
Twitter विवाद
किसान आंदोलन के दौरान गणतंत्र दिवस पर किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी. उसी समय लाल किले पर हिंसा हुई थी और उपद्रवियों ने तिरंगे की जगह धार्मिक झंडा फहरा दिया था. इसको देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा ट्विटर को लगभग 1000 अकाउंट ब्लॉक करने और कई विवादित हैशटैग हटाने को कहा गया था. सरकार का कहना था कि इनमें से कई अकाउंट खालिस्तान समर्थकों के हैं, जो किसान आंदोलन में दुष्प्रचार कर रहे हैं और गलत जानकारी सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं.
सरकार के कहने पर ट्विटर ने कुछ अकाउंट हटा दिया और विवादित हैशटैग भी हटा दिया लेकिन बाद में कई अकाउंट फिर से चालू कर दिया और कहा कि इनमें से अधिकतर लोग पत्रकारिता से संबंधित लोग है और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं के हैं. ट्विटर ने एक बयान जारी कर कहा, "हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वकालत करते रहेंगे और भारतीय कानून के मुताबिक इसका रास्ता भी निकाल रहे हैं." केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर की कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की।
इस संबंध मे नई IT ACT की धारा 79 मे उल्लिखित विवरणो को टिवीटर मानने से इंकार कर रहा है। इस वजह से विवाद और भी गहरा होते दिख रहा है।