Coronavirus कोरोनावायरस

Coronavirus कोरोनावायरस

Coronavirus कोरोनावायरस


(Coronavirus) अनेकों प्रकार के वायरसो का एक समूह है जो कई सारे स्तनधारियों और पक्षियों में रोग उत्पन्न कर सकता है। कोरोनावायरस एक प्रकार का Ribose Nucleic Acid (RNA) वायरस हैं। इनके कारण मनुष्य में श्वास तंत्र संक्रमण पैदा हो सकता है जिसकी गहनता हल्की से लेकर अति गम्भीर हो सकती है।  इनकी रोकथाम के लिए अब टीका (वैक्सीन) अब उपलब्ध है और उपचार के लिए प्राणी की अपने प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है। 


उत्पति स्थान क्या है? कैसे पड़ा कोरोनावायरस नाम

इस बीमारी को पहली बार वुहान,चीन में पाया गया था, इसलिये इसे कभी-कभी "वुहान वायरस" या "वुहान कोरोनावायरस" कहा जाता है। मगर जगहों के नामों के आधार पर प्रयोग करने पर मनाही के कारण इसका नाम इसका नाम बुहान वायरस नहीं रखा गया। कोरोना वायरस के लक्षण एक हल्का ज़ुखाम से लेकर ज़्यादा गंभीर रोगों कि वजह हो सकती है जैसे कि मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Middle East Respiratory Syndrome: MERS-CoV) और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Severe Acute Respiratory Syndrome: SARS-CoV) | यह वायरस से इंसान और जानवर दोनों संक्रमित हो सकते है  इस वायरस को अभी “SARS-CoV-2” का नाम रखा गया है और इसकि वजह से आने वाली बीमारी को “Corona Disease 2019” यानी “COVID-19” है |

लैटिन में "कोरोना" का अर्थ "मुकुट" होता है और इस वायरस के कणों के इर्द-गिर्द उभरे हुए कांटे जैसे ढाँचों से इलेक्ट्रान सूक्षमदर्शी में मुकुट जैसा आकार दिखता है, जिस पर इसका नाम रखा गया था। सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है तो चन्द्रमा के चारों ओर किरण निकलती प्रतीत होती है उसको भी कोरोना कहते हैं। 

कैसे दिखता है कोरोनावायरस?

बड़े गोलाकार कणों के रूप में होते हैं।  वायरस के कणों का व्यास लगभग 120 नैनोमीटर होता है। जहां मेम्ब्रेन(झिल्ली), आकार का प्रोटीन डले होते हैं। कोरोना वायरस का एक उपसमूह (विशेष रूप से betacoronavirus उपसमूह A के सदस्य) हेमग्लगुटिनिन एस्टरेज़ नामक एक छोटा स्पाइक जैसी सतह भी प्रोटीन है। कैप्सूल के अंदर न्यूक्लियोकैप्सिड होते है, जो कि न्यूक्लियोकैप्सिड (एन) प्रोटीन की कई प्रतियों से बनता है। ये RNA युक्त विषाणु होते हैं।  जब यह होस्ट सेल के बाहर होता है तो लिपिड बाईलेयर कैप्सूल, झिल्ली प्रोटीन और न्यूक्लियोकैप्सिड वायरस की रक्षा करते हैं।


कोरोनावायरस का वंश


1.अल्फ़ाकोरोनावायरस 
2.बेटाकोरोनावायर
3.गामाकोरोनावायर
4.डेल्टाकोरोनावायर

अल्फ़ाकोरोनावायरस (Alphacoronavirus) वायरस के कोरोनाविरिडाए कुल के चार सदस्य जीववैज्ञानिक वंशों में से एक है। अल्फ़ाकोरोनावायरस और बेटाकोरोनावायरस मूल रूप से चमगादड़ में संक्रमण करने वाले वायरस के वंशज हैं जो मानवों व अन्य स्तनधारियों में भी फैल जाते हैं। 

कोरोनाविरिडाए (Coronaviridae)

वायरस का एक जीववैज्ञानिक कुल है। इसकी सदस्य जातियों को इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से देखने पर सूर्यग्रहण में दिखने वाली कोरोना जैसे उभराव दिखते हैं, जिस से इसका यह नाम पड़ा। यह आरएनए वायरस होते हैं जिनमें आरएनए के एक-रेशा और उसे ढेपता हुआ प्रोटीन का एक खोल होता है। कोरोनावायरस इसी कुल का सदस्य हैं। 


इस वायरस के मानव में।  इसका प्रसार मुख्य रूप से लगभग 6 फीट (1.8 मीटर) की सीमा के भीतर खांसी और छींक से होता है। दूषित जगह के माध्यम से अप्रत्यक्ष संपर्क, संक्रमण का एक और संभावित कारण है।

लक्षण

बुखार 87.9   सूखी खांसी 67.7  थकान 38.1 लार का निर्माण 33.4 गंध ना आना and स्वाद ना आना 30 से 66 सांस लेने में तकलीफ 18.6 मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द 14.8 गले में खरास 13.9 सर दर्द 13.6
ठंड लगना 11.4 उलटी अथवा मितली 5.0 नाक बंद 4.8 दस्त 3.7 से 31 हेमोटाईसिस 0.9 कंजेक्टिवल रक्त-संकुलन 0.8 इत्यादि।

 

कोरोनावायरस वैरिएंट 

दुनियाभर में जिस कोरोना वायरस ने इस वक्त तबाही मचा रखी है, लेकिन ये वो कोरानावायरस नहीं है जो पहली बार चीन से निकला था. बल्कि वह म्यूटेट हो रहा है।
म्यूटेट होने का मतलब है वायरस के जेनेटिक मटेरियल में बदलाव होना. वैज्ञानिकों ने इस वायरस में हज़ारों म्यूटेशन देखे हैं.

पहला म्यूटेटिड वायरस, B.1.1.7 था जो इंग्लैंड में पाया गया था इसे U K वेरिएंट भी कहते है। ये वेरिएंट पुराने वेरिएंट्स की तुलना में 40-70% अधिक संक्रामक  था। दूसरा वेरिएंट ब्राजील में E484K का पता चला। ये पिछले की तुलना में और अधिक खतरनाक पाया गया।  E484K से ताल्लुक रखने वाला ये म्यूटेशन एंटीबॉडीज को चकमा देने में माहिर पाया गया। इसके अतिरिक्त, N501 म्यूटेशन इसे और घातक बनाता है। इंडिया में उत्तपन कोरोना का डबल म्यूटेंट वेरिएंट, जिसे वैज्ञानिकों ने B.1.617 का नाम दिया है। कोरोना की दूसरी लहर के बीच इससे संक्रमित भी काफी मरीज पाए जा रहे हैं। कोरोना के सेकंड वेरिएंट में मौजूद E484Q और L452R म्यूटेशन्स, इसे ज्यादा संक्रामक और एंटीबॉडीज को पार कर शरीर में प्रवेश करने में सक्षम बनाते हैं। भारत के एक राज्य पश्चिम बंगाल में SARS-COV-2 के एक और नए वेरिएंट का पता लगाया गया है। वैज्ञानिक ने इसे B.1.618 नाम दिया है। ट्रिपल म्यूटेशन कोरोनावायरस वेरिएंट, जो कोविड के तीन अलग-अलग स्ट्रेन का एक समूह  है।दूसरे शब्दों में ट्रिपल म्यूटेशन का मतलब है कि कोरोना वायरस के तीन अलग-अलग स्ट्रेन यानी स्वरूप मिलकर एक नए वेरिएंट में बदल गए हैं।


तीन स्ट्रेन मिलकर बने इस नए टाइप में E484K जैसे अलग जेनेटिक वेरिएंट्स पाए गए हैं, ये थर्ड वेरिएंट उन लोगों के शरीर में भी एंटीबॉडीज को पार कर प्रवेश कर संक्रमित कर सकता है, जो पहले कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं।







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