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आज़ादी का अमृत महोत्सव | 75 Years of India’s Independence पर निबन्ध

आजादी का अमृत महोत्सव का उद्देश्य आज़ादी का अमृत महोत्सव एक गहन, देशव्यापी अभियान है जो आजादी का अमृत महोत्सव एक राष्ट्रव्यापी अभियान है जो ...

आज़ादी का अमृत महोत्सव | 75 Years of India’s Independence पर निबन्ध

आज़ादी का अमृत महोत्सव | 75 Years of India’s Independence पर निबन्ध

आज़ादी का अमृत महोत्सव | 75 Years of India’s Independence पर निबन्ध


आजादी का अमृत महोत्सव का उद्देश्य

आज़ादी का अमृत महोत्सव एक गहन, देशव्यापी अभियान है जो आजादी का अमृत महोत्सव एक राष्ट्रव्यापी अभियान है जो नागरिकों की भागीदारी पर जोर देगा और एक 'जनांदोलन' में परिणत होगा जिसमें स्थानीय स्तर पर छोटे बदलावों से बड़े राष्ट्रीय लाभ होंगे।

हम "आजादी का अमृत महोत्सव" मना रहे हैं, हर भारतीय के मन में आज एक त्योहार है। 

ग्रह पर हर जीवित प्राणी मुक्त होना चाहता है। कैद की चिड़िया भी आजादी की तलाश में अपने पंख लगातार फड़फड़ाती है। वह सोने का पानी चढ़ा हुआ पिंजरा, साथ ही सोने की कटोरी में रखे स्वादिष्ट भोजन का भी तिरस्कार करता है। वह भी खुले आसमान में स्वतंत्र रूप से उड़ने में सक्षम होना चाहता है। 

महाकवि तुलसीदास जी कहते हैं, "आश्रित स्वप्न सुख नहीं हैं, जिसका अर्थ है कि आश्रित व्यक्ति कभी सुखी नहीं हो सकता। खुशी उनके लिए नहीं बनी है जो दूसरों पर निर्भर हैं।

निर्भरता एक अभिशाप हो सकती है। कुछ लोग अपनी निर्भरता के लिए परमेश्वर को दोष देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है; वे अयोग्य हैं और परमेश्वर को दोष देना जारी रखते हैं; भगवान उसी की मदद करते हैं जो अपनी मदद खुद कर सकते हैं। "स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है," महान स्वतंत्रता योद्धा बाल गंगाधर तिलक ने टिप्पणी की।

आजादी की पृष्ठभूमि

15 अगस्त 1947 से पहले लगभग 200 वर्षों तक हम पर ब्रिटिश सरकार का शासन था। उससे पहले 230 साल तक मुगलों ने हम पर शासन किया था। हालाँकि, जब भारतीय लोगों में राजनीतिक चेतना बढ़ी, तो भारतीयों ने स्वतंत्रता के लिए लड़ना शुरू कर दिया।

एक लंबी लड़ाई के बाद, भारत के लोगों को स्वतंत्रता प्रदान की गई। वर्ष 1857 में, हमारा पहला मुक्ति संग्राम था। अंग्रेजों ने इसे "गदर" या "विद्रोह" के रूप में संदर्भित किया, जबकि भारतीयों ने इसे "स्वतंत्रता संग्राम" के रूप में संदर्भित किया। रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहब और राव तुलाराम ने अंग्रेजों को बाहर निकालने के लिए तलवार उठाई। इसमें अनगिनत राष्ट्रीय नायकों ने खुलकर हिस्सा लिया।

हालाँकि, राज्य में कुछ देशद्रोही थे, साथ ही साथ ब्रिटिश पिथु शासक भी थे, जिन्होंने व्यक्तिगत लाभ के लिए अंग्रेजों का समर्थन किया था। नतीजतन, स्वतंत्रता पर यह प्रारंभिक बोली विफल रही।

भारत की स्वतंत्रता की खोज भी अंतहीन बलिदानों और चुनौतियों की एक मंजिल है। महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, लोकमान्य तिलक, सरदार पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और अन्य लोगों ने शोला को स्वतंत्रता की चिंगारी बनायी जो 1857 में प्रज्वलित हुई थी। इसे भगत सिंह, राजगुरु और चंद्रशेखर ने प्रेरित किया था। हमने अपनी आजादी के लिए कड़ा संघर्ष किया।

देशभक्तों को कैद किया गया, गोलियां खाई गईं और कई वीरों ने अपनी जान दे दी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कई मौकों पर स्वतंत्रता हासिल करने के लिए सत्याग्रह का इस्तेमाल किया। स्वतंत्रता दांडी की यात्रा करके उन्होंने नमक कानून भी तोड़ा।

ब्रिटिश प्रशासन ने स्वतंत्रता सेनानियों को जेल में डाल दिया और लोगों के खिलाफ अपराध शुरू हो गए। अंतत: 1942 में गांधी जी के मार्गदर्शन में "अंग्रेजों को भारत छोड़ो" का नारा बुलंद किया गया। इस आंदोलन ने बड़ी संख्या में भारतीयों को आकर्षित किया। परिणामस्वरूप, 15 अगस्त, 1947 को भारत ने स्वतंत्रता की घोषणा की।

प्रकृति के सभी कण मुक्त हैं। प्रकृति अपनी स्वतंत्रता में किसी भी हस्तक्षेप को तुच्छ समझती है। जब मनुष्य प्रकृति के निरंकुश स्वभाव से छेड़छाड़ करता है तो प्रकृति उसे कठोर दंड देती है। प्रदूषण, भूकंप, मिट्टी का कटाव, बाढ़, अत्यधिक वर्षा और सूखा ये सभी प्रकृति के साथ मानवीय हस्तक्षेप के परिणाम हैं।

जब हम दो फूलों की तुलना करते हैं, तो एक बगीचे में उगता है और पर्यावरण को सुंदरता और सुगंध प्रदान करता है, जबकि दूसरा फूलदान में उगता है और मुरझा जाता है। बगीचे में फूल खुश है, लेकिन फूलदान में फूल अपने दुर्भाग्य के कारण दुखी है। 

हमारे देश को पहले सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था। हमारे देश को पहले इसकी विशाल मानव आबादी के लिए पहचाना जाता था। प्राचीन काल में हमारा देश सबसे उन्नत था।

हालाँकि, हमारे देश की स्थिति अपनी स्वतंत्रता के परिणामस्वरूप वर्षों में बदल गई है। आज की दुनिया में, भारत अभी भी कमजोर, बेसहारा और सिकुड़ रहा है। आजादी के लिए कई महान लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।

हालाँकि, स्वतंत्रता के कई वर्षों के बावजूद, हमें अभी तक मानसिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हुई है। हम विदेशी संस्कृति और विदेशी भाषा को अपनाकर मानसिक निर्भरता से परिचित हो रहे हैं।

भारत के लोग आत्मनिष्ठता को समझने में बेहतर हैं क्योंकि वे अनादि काल से ब्रिटिश आधिपत्य के अधीन रहे हैं।

कई सालों से हमारा देश हमेशा के लिए गुलाम रहा है। नतीजतन, हम न केवल व्यक्तिगत रूप से पिछड़ गए हैं, बल्कि हमारा देश सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर भी पिछड़ गया है।

देश की अधीनता के कारण, हम विदेशी संस्कृति और सभ्यता से बहुत प्रभावित हैं।

आजादी के बाद भी अब हम अपनी संस्कृति और सभ्यता को पूरी तरह भूल चुके हैं।

हम गलत तरीके से विश्वास करते हैं और मानसिक निर्भरता से मुक्त होने पर गर्व करते हैं क्योंकि हम स्वतंत्रता के सही अर्थ को समझते हैं। हम इतिहास में एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गए हैं जहां हम आज तक स्वतंत्रता के महत्व की गलत व्याख्या कर रहे हैं।

आज, जब हम "आजादी का अमृत महोत्सव" के साथ आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाते हैं, तो हम उन देशभक्तों को याद करते हैं जिन्होंने अंग्रेजों से लड़ने के लिए अपनी खुशी का बलिदान सिर्फ इसलिए नहीं किया क्योंकि वे ब्रिटिश थे बल्कि इसलिए किया ताकि भविष्य के भारतीय और अन्य देशवासी शांति और सम्मान से रह सकें। निश्चय ही, उनके प्रयास व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।

हालांकि, अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि देश को इतना सुरक्षित और मजबूत बनाया जाए कि कोई भी विदेशी इसे कभी भी आलोचनात्मक नजर से न देखे।

हमारी जिम्मेदारी सिर्फ 15 अगस्त  को खत्म नहीं होती है। बल्कि देश हित में हम सभी को अपना काम हमेशा करना चाहिए और विभिन्न मुद्दों से निपटना चाहिये।

यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम सभी प्रकार के राजनीतिक, सांस्कृतिक और अन्य उत्पीड़न का विरोध करें। प्रत्येक देश अपनी स्वतंत्रता को महत्व देता है। जब तक कोई देश स्वायत्त नहीं होगा, तब तक वह प्रगति नहीं कर सकता है।

वे देश या वर्ग जो स्वतंत्रता के महत्व को नहीं समझते हैं और इसे खत्म करने का प्रयास नहीं करते हैं, वे अंततः वश में हो जाएंगे, और उनका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।

निष्कर्ष:

हमें "आत्मनिर्भर भारत-शक्तिशाली भारत" के सपने को साकार करने और ऐसे शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरने के लिए राष्ट्र के प्रति समर्पित होकर अपनी कर्तव्य-भावना का प्रदर्शन करना चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी बुरी ताकत भारत को अपनी नजरों से न देख सके। हमें अपने पूर्वजों द्वारा दी गई स्वतंत्रता को बनाए रखना चाहिए और विकास के पथ पर चलते रहना चाहिए।

जैसा कि हम भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाते हैं, आइए हम भारत की भावना का जश्न मनाने और राष्ट्रगान गाने के लिए एक साथ आएं। rashtragaan.in पर लॉगिन करें तथा राष्ट्रगान का वीडियो अपलोड करे।

आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री का संबोधन


e-₹UPI क्या है कैसे काम करता है जाने इससे जुड़ी सभी जानकारी

e-₹UPI क्या है कैसे काम करता है जाने इससे जुड़ी सभी जानकारी

e-₹UPI क्या है कैसे काम करता है जाने इससे जुड़ी सभी जानकारी


भारत सरकार द्वारा eRUPI को लॉन्च किया गया है। अगर आप; eRUPI के बारे में विस्तार से जनाना चाहते है तो यह आर्टिकल आपके लिए है। इस आर्टिकल में eRUPI क्या है, इसके फायदे, यह कैसे काम करता है इत्यादि सभी प्रकार के प्रश्नों को कवर किया गया है।

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की पहल डिजिटल इंडिया के तहत e-RUPI को लांच किया गया जो की एक  डिजिटल पेमेंट सिस्टम है 


eRUPI एक कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस डिजिटल पेमेंट मिडियम है जो लाभकर्ता  के मोबाइल फोन में SMS या QR कोड के तौर पर आएगा।


इसकी शुरुआत  प्रधानमंत्री जी द्वारा 2 अगस्त 2021 को किया गया।


डिज़िटल भुगतान प्रणाली की दिशा में यह  एक अहम क़दम होगा। 


e-RUPI नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया (NPCI)  के द्वारा विकसित किया गया है।

वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ मिलकर eRUPI को विकसित किया है।


कैसे काम करता है e-RUPI


यह एक प्रीपेड गिफ्ट-वाउचर की तरह होगा  e-RUPI बेनिफिशिएरी को बिना किसी फिजिकल इंटरफेस के डिजिटली सर्विसेज के स्पॉन्सर्स से कनेक्ट करेगा।


इस प्रणाली में पैसा भेजने वाले और पैसा वसूल करने वाले के बीच, यानी दो पार्टियों के बीच किसी तीसरे का इसमें हस्तक्षेप नहीं होगा।


ये QR कोड या SMS के आधार पर ई-वाउचर के रूप में काम करता है।


एंड्रॉयड फोन में QR कोड एवम फीचर्स फोन में SMS के जरिए कोड भेजा जाएगा।


e-RUPI को NPCI द्वारा उसके UPI प्लेटफॉर्म पर डेवलप किया गया है और इसमें बैंकों को शामिल किया गया है जो इन वाउचर्स को जारी करने का काम करेंगी।


किसी भी कॉर्पोरेट या सरकारी एजेंसी को इसे प्राप्त करने के लिए पार्टनर बैंक्स से कॉन्टैक्ट करना होगा जो प्राइवेट और सरकारी दोनों हो सकते हैं।


इसके साथ इस बात की भी जानकारी देनी होगी कि ये किसके लिए और किस उद्देश्य से लिया जा रहा है। यानी सरकार द्वारा यदि किसी स्कीम के अंतर्गत जैसे किसानों को खाद के लिए QR कोड/SMS दिया गया है तो वह QR कोड सिर्फ और सिर्फ खाद के दुकान पर ही भुना पाएगा।


यदि कोई व्यक्ति चाहे की सरकार द्वारा जारी QR कोड/SMS जिस उदेश्य की लिए दिया गया है वह न कर 

उस QR कोड/SMS को भुना कर कैश करा ले तो वह संभव नही होगा। 


इसमें ई-रुपी वाउचर का इस्तेमाल हुआ या नहीं, ये भी ट्रैक किया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति इसका लम्बे समय तक इस्तेमाल नही करता है तो NPCI द्वारा इसे स्वतः निरस्त कर दिया जाएगा।


बेनिफिशिएरी की पहचान उनके मोबाइल नंबर से की जाएगी बैंक द्वारा सर्विस प्रोवाइडर को किसी व्यक्ति के नाम का वाउचर सिर्फ उसी व्यक्ति को दिया जाएगा।


e-RUPI के लाभ


काफी लोगो के मन में यह विचार आ रहा है, कि जब डिजिटल भुगतान प्रणाली जैसे  डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और यूपीआई जैसे साधन पहले ही मौजूद हैं, तो सरकार  को e-RUPI को लाने की क्या जरूरत थी तो दोस्तो आज हम जानेंगे e-RUPI का लाभ क्या है।


यह  e-RUPI सुनिश्चित करती है कि लाभ बिना किसी परेशानी के लाभार्थीतक पहुंचे।


सरकार  कई योजनाओं के तहत ग़रीबों और किसानों को सहायता के रूप में कैश उनके बैंक खातों में ट्रांसफ़र करती है। इस सिस्टम में सरकारी कर्मचारियों का काफ़ी दखल होता है। कई बार लोगों को इसमें काफ़ी परेशानी भी होती है, आरोप ये भी लगते हैं कि सरकारी कर्मचारी रिश्वत भी लेते हैं।


राजीव  गांधी सरकार में एक बयान में कहा गया कि यदि सरकार गरीबों या किसानों को एक रुपया देती है तो उनके पास मात्र 55 पैसे ही पहुंच पाते है बीच में दलालों या सरकारी कर्मचारियों द्वारा रिश्वत के रूप में खा लिया जाता है।


ई-रुपी के इस्तेमाल से इसका ख़तरा ख़त्म हो जाता।


e-RUPI प्रीपेड होने के कारण बीच में किसी तीसरे व्यक्ति का हस्तक्षेप नहीं रहता है। ऐसी सेवाओं के माध्यम से देश में काफी हद तक भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है।


eRUPI की मदद  से सरकारी संस्थान के अतिरिक्त  यदि कोई निजी संगठन  चाहे तो वह भी इससे भुगतान कर सकते है। जैसे निजी या सरकारी कर्मचारियों के वेतन के अलावा कोई अतिरिक्त राशि जैसे बोनस का भुगतान e-RUPI के मध्यम से किया जा सकता है।


इस ई-रुपी बेनेफिशियरीज़ के विवरण को पूरी तरह गोपनीय रखता है इसलिए इसे आसान और सुरक्षित माना जा रहा है।


इस वाउचर के माध्यम से पूरी लेन-देन प्रक्रिया  तेज़ और साथ ही विश्वसनीय है क्योंकि e-RUPI वाउचर में आवश्यक राशि पहले से ही होती है।


e-RUPI एवम अन्य UPI के बीच अन्तर


अन्य UPI पेमेंट सिस्टम जिससे PAYTM, GOOGLE PAY, PHONE PAY इत्यादि से e-RUPI बिल्कुल अलग है।


इन सभी UPI पेमेंट सिस्टम में रजिस्ट्रेशन की जरूरत पड़ती है जबकि e-RUPI में रजिस्ट्रेशन की कोई जरूरत नही है। यह लाभारती का पहचान उसके मोबाइल नंबर से करता है।


बाकी सभी UPI पेमेंट सिस्टम के लिए एंड्रॉयड फोन की जरूरत है जबकि e-RUPI में किसी भी फोन में काम कर सकता है क्योंकि यह एक QR कोड या SMS ke जरिए भुगतान करता है।


उपरोक्त सभी UPI पेमेंट सिस्टम में इंटरनेट की जरूरत है जबकि e-RUPI में इंटरनेट की कोई जरूरत नहीं है यह बिना इंटरनेट का काम करता है।


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Pegasus क्या है यह कैसे काम करता है जाने इससे जुड़ी सभी जानकारी

Pegasus क्या है यह कैसे काम करता है जाने इससे जुड़ी सभी जानकारी

Pegasus क्या है यह कैसे काम करता है जाने इससे जुड़ी सभी जानकारी


पिछले 3 वर्षो के बाद पेगासस एक बार फिर चर्चा में है।

भारत के संसद में पेगासस को लेकर संसद के बाहर तथा भीतर घमासान लगा रहा।

इस हंगामे को लेकर संसद के मॉनसून सत्र का पहला दिन आखिरकार स्थगित करना पड़ा।

एक रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक वैश्विक सहयोगी जांच प्रोजेक्ट से पता चला है कि इजरायली कंपनी, एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर से भारत में 250 से अधिक मोबाइल नंबरों को टारगेट किया गया, जिसमें वर्तमान सरकार के दो मंत्री, तीन विपक्षी नेता, एक जज, कई पत्रकार और कई व्यवसाई शामिल हैं।

इस संदर्भ आइए हम लोग जानते है कि आखिर में ये पेगासस स्पाइवेयर है क्या तथा ये कैसे काम करता है तथा पहली बार कब पेगासस को लेकर चर्चा हुआ था ।

पेगासस स्पाइवेयर क्या है

पेगासस स्पाइवेयर जो कि डिज़िटल डिवाइस जैसे- कंप्यूटर, मोबाइल, टेबलेट से निजी जानकारियाँ चुराता है। यह जीमेल अकाउंट, बैंक डिटेल्स, सोशल मीडिया, टेक्स्ट मैसेज तथा फोन कॉल इत्यादि जैसी गतिविधियों पर नज़र रखता है तथा वहाँ से डेटा चोरी कर अपने संचालक तक पहुँचाता है।

पेगासस इज़रायली साइबर सुरक्षा कंपनी NSO द्वारा विकसित किया गया एक स्पाइवेयर (जासूसी करने वाला) सॉफ्टवेयर है।

पेगासस स्पाइवेयर उपयोगकर्त्ताओं के मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियाँ चोरी करता है एवं उन्हें नुकसान पहुँचाता है।

पेगासस ऑपरेटर उपयोगकर्त्ताओं के पास एक लिंकभेजता है, जिस पर क्लिक करते ही यह स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर उपयोगकर्त्ताओं की के मर्जी के बिना ही फोन में इंस्टाॅल हो जाता है।

अब इसके नए वर्जन में लिंक की भी आवश्यकता नहीं है यह सिर्फ एक मिस्ड काॅल या वीडियो कॉल के द्वारा ही फोन में इंस्टाॅल हो जाता है। पेगासस स्पाइवेयर इंस्टाॅल होने के बाद फोन में उपलब्ध सभी जानकारी अपने ऑपरेटर तक पहुंचता है।

पेगासस स्पाइवेयर की एक प्रमुख विशेषता है कि यह पासवर्ड द्वारा रक्षित उपकरणों को में भी घुस सकता है तथा मोबाइल के रोमिंग में होने पर उसकी डेटा को चुरा नहीं सकता ।


पेगासस स्पाइवेयर, प्रयोगकर्त्ता के मोबाइल फोन या किसी प्रकार के उपकरण की कुल मेमोरी का नामात्र हिस्सा लगभग 5% से भी कम प्रयोग करता है, जिससे उपयोगकर्ता को उसके उपकरण में पेगासस स्पाइवेयर का होने का आभास भी नहीं होता। 

पेगासस स्पाइवेयर, एंड्रॉयड फोन के साथ साथ आईओएस (आईफोन) जैसे उपकरणों को भी हानि पहुंचा सकता है।


एनएसओ समूह (NSO Group) क्या है?


एनएसओ समूह एक साइबर सिक्योरिटी कंपनी है जो ‘निगरानी प्रौद्योगिकी’ में स्पेशलिस्ट है और दुनिया भर में सरकारों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अपराध और आतंकवाद से लड़ने में मदद करने का दावा करती है. एनएसओ समूह 40 देशों में अपने ग्राहकों को 60 खुफिया, सैन्य और कानून-प्रवर्तन एजेंसियों के रूप में बताता है.

हालांकि वह क्लाइंट गोपनीयता का हवाला देते हुए उनमें से किसी की पहचान उजागर नहीं करता है. कैलिफोर्निया में व्हाट्सएप द्वारा पहले के मुकदमे का जवाब देते हुए, एनएसओ ग्रुप ने कहा था कि पेगासस का इस्तेमाल अन्य देशों में सिर्फ संप्रभु सरकारों या उनकी सस्थाओं द्वारा किया जाता है।


पहली बार कब देखा गया पेगासस स्पाइवेयर


पेगासस स्पाइवेयर पर पहली रिपोर्ट तब सामने आई जब संयुक्त अरब अमीरात में एक मानवाधिकार कार्यकर्त्ता को वर्ष 2016 में जब उनके आईफोन 6 पर एक एसएमएस लिंक के साथ निशाना बनाया गया था।

इसके बाद साल न्यूयॉर्क टाइम्स में वर्ष 2017 में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक मेक्सिको की सरकार पर पेगासस की मदद से मोबाइल की जासूसी करने वाला उपकरण बनाने का आरोप लगा ।

WhatsApp के मालिक फेसबुक ने अक्टूबर 2019 में NSO ग्रुप के खिलाफ मुकदमा दाखिल किया था कि इसके पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर दुनियाभर में WhatsApp के 1400 यूजर्स को निशाना बनाया गया।

इन आरोपों का जवाब देते हुए NSO ग्रुप ने अपने जवाब में कहा था कि 1400 WhatsApp यूजर को मैसेज करने के लिए पेगेसस इस्तेमाल विदेशी देशों की सरकारों द्वारा किया गया था।

मई 2020 में आई एक रिपोर्ट में एनएसओ ग्रुप पर आरोप लगाया गया कि इसने फ़ेसबुक की तरह दिखने वाली वेबसाइट के माध्यम से यूज़र्स के फ़ोन में हैकिंग सॉफ्टवेयर डालने की कोशिश की थी।

फरवरी 2021 में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय लिया गया कि WhatsApp पेगासस स्पाइवेयर के खिलाफ पूरी तरीके से सुरक्षित नही है अतः इसे पेमेंट की अनुमति नहीं दी जानी चाहिये।

पेगासस ज़्यादातर लेटेस्ट डिवाइस मॉडल और ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ जुड़ा होता है। इसे इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि डिवाइस यूज़र को डिवाइस में स्पाइवेयर के होने का पता न चल सके।

कई बार कंपनियाँ अपने कंप्यूटर सिस्टम में खुद स्पाइवेयर डलवाती हैं ताकि ये पता कर सकें कि कर्मचारी अपना काम सही तरीके से कर रहे हैं या नहीं।


पेगासस स्पाइवेयर से बचने की उपाय


स्पाइवेयर की जासूसी से बचने के लिये कंप्यूटर एवं मोबाइल में एंटी स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने के साथ ही समय-समय पर इसे अपडेट करते रहें।

इंटरनेट पर कोई जानकारी सर्च करते समय केवल विश्वसनीय वेबसाइट पर ही क्लिक करें।

इंटरनेट बैंकिंग या किसी भी ज़रूरी अकाउंट को कार्य पूरा होने के पश्चात् लॉग आउट करें।

पासवर्ड टाइप करने के बाद ‘रिमेंबर’ पासवर्ड या ‘कीप लॉगइन’ जैसे ऑप्शन पर क्लिक न करें।

साइबर कैफे, ऑफिस या सार्वजनिक सिस्टम पर बैंकिंग लेन-देन न करें।

जन्मतिथि या अपने नाम जैसे साधारण पासवर्ड न बनाएँ, पासवर्ड में लेटर, नंबर और स्पेशल कैरेक्टर का मिश्रण रखें। 

सोशल मीडिया, e-Mail, बैंकिंग इत्यादि के पासवर्ड अलग-अलग रखें। बैंक के दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन करें। बैंक की तरफ से आए किसी भी तरह के अलर्ट मेसेज को नज़रअंदाज़ न करें एवं डेबिट कार्ड का पिन नंबर नियमित अंतराल पर बदलते रहें।


पेगासस स्पाइवेयर द्वारा फोन के साथ छेड़छाड़ का पता लगाने का तरीका


क्या हमारा फोन पेगासस से सुरक्षित है की नहीं इसका पता कैसे लगाएं इसके लिए आइए हम जानते है कि क्या कोई ऐसा तरीका है जिसके माध्यम से हम यह पता लगा सके की हमारा फोन सुरक्षित है की नही।

एमनेस्टी इंटरनेशनल के द्वारा एक टूल विकसित किया है जो बता सकता है कि आपका फोन स्पाईवेयर से संक्रमित हुआ है या नहीं। 

इसके लिए आपको एक मैथड मोबाइल वेरिफिकेशन टूल यानी MVT से होकर गुजरना पड़ेगा।

मोबाइल वैरिफिकेशन टूल का यह बताने में मदद करना है कि पेगासस ने डिवाइस को नुकसान पहुंचाया है या नहीं। 

MVT Android और iOS दोनों डिवाइसों पर काम करता है, इसके लिए कमांड लाइन की जानकारी की आवश्यकता होती है। 







मीराबाई की कहानी

मीराबाई की कहानी

मीराबाई की कहानी


इम्फाल से 200 किमी दूर नोंगपोक काकचिंग गांव में गरीब परिवार में जन्मी और छह भाई बहनों में सबसे छोटी मीराबाई चानू अपने से चार साल बड़े भाई सैखोम सांतोम्बा मीतेई के साथ पास की पहाड़ी पर लकड़ी बीनने जाती थीं। 

एक दिन उसका भाई लकड़ी का गठ्ठर नहीं उठा पाया, लेकिन मीरा ने उसे आसानी से उठा लिया और वह उसे लगभग 2 किमी दूर अपने घर तक ले आई। 

शाम को पड़ोस के घर मीराबाई चानू टीवी देखने गई, तो वहां जंगल से उसके गठ्ठर लाने की चर्चा चल पड़ी। उसकी मां बोली, ''बेटी आज यदि हमारे पास बैल गाड़ी होती तो तूझे गठ्ठर उठाकर न लाना पड़ता।''

बैल गाड़ी की कीमत के लिए मीरा बाई खेलना शुरू किया

''बैलगाड़ी कितने रूपए की आती है माँं ?'' मीराबाई ने पूछा

''इतने पैसों की जितने हम कभी जिंदगीभर देख न पाएंगे।''

''मगर क्यों नहीं देख पाएंगे, क्या पैसा कमाया नहीं जा सकता ? कोई तो तरीका होगा बैलगाड़ी खरीदने के लिए पैसा कमाने का ?'' चानू ने पूछा तो तब गांव के एक व्यक्ति ने कहा, ''तू तो लड़कों से भी अधिक वजन उठा लेती है, यदि वजन उठाने वाली खिलाड़ी बन जाए तो एक दिन जरूर भारी—भारी वजन उठाकर खेल में सोना जीतकर उस मैडल को बेचकर बैलग़ाड़ी खरीद सकती है।''

''अच्छी बात है मैं सोना जीतकर उसे बेचकर बैलगाड़ी खरीदूंगी।'' उसमें आत्मविश्वास था। 

उसने वजन उठाने वाले खेल के बारे में जानकारी हासिल की, लेकिन उसके गांव में वेटलिफ्टिंग सेंटर नहीं था, इसलिए उसने रोज़ ट्रेन से 60 किलोमीटर का सफर तय करने की सोची। 

शुरुआत उन्होंने इंफाल के खुमन लंपक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स से की।

बिना छत तथा फर्श वाले मंदिर में रात भर सोई थी मीरा बाई 

एक दिन उसकी रेल लेट हो गयी.. रात का समय हो गया। शहर में उसका कोई ठिकाना न था, कोई उसे जानता भी न था। उसने सोचा कि किसी मन्दिर में शरण ले लेगी और कल अभ्यास करके फिर अगले दिन शाम को गांव चली जाएगी। 

एक अधूरा निर्माण हुआ भवन उसने देखा जिस पर आर्य समाज मन्दिर लिखा हुआ था। वह उसमें चली गई। वहां उसे एक पुरोहित मिला, जिसे उसने बाबा कहकर पुकारा और रात को शरण मांगी। 

''बेटी मैं आपको शरण नहीं दे सकता, यह मन्दिर है और यहां एक ही कमरे पर छत है, जिसमें मैं सोता हूँ । दूसरे कमरे पर छत अभी डली नहीं, एंगल पड़ गई हैं, पत्थर की सिल्लियां आई पड़ी हैं लेकिन पैसे खत्म हो गए। तुम कहीं और शरण ले लो।''

''मैं रात में कहाँ जाउँगी बाबा,'' मीराबाई आगे बोली, ''मुझे बिन छत के कमरे में ही रहने की इजाजत दे दो।''

''अच्छी बात है, जैसी तेरी मर्जी।'' बाबा ने कहा।

वह उस कमरे में माटी एकसार करके उसके उपर ही सो गई, अभी कमरे में फर्श तो डला नहीं था। जब छत नहीं थी तो फर्श कहां से होता भला। लेकिन रात के समय बूंदाबांदी शुरू हो गई और उसकी आंख खुल गई। 

मीराबाई ने छत की ओर देखा। दीवारों पर उपर लोहे की एंगल लगी हुई थी, लेकिन सिल्लियां तो नीचे थी। आधा अधूरा जीना भी बना हुआ था। उसने नीचे से पत्थर की सिल्लिया उठाई और उपर एंगल पर जाकर रख ​दी और फिर थोड़ी ही देर में दर्जनों सिल्लियां कक्ष की दीवारों के उपर लगी एंगल पर रखते हुए कमरे को छाप दिया। 

उसके बाद वहां एक बरसाती पन्नी पड़ी थी वह सिल्लियों पर डालकर नीचे से फावड़ा और तसला उठाकर मिट्टी भर—भरकर उपर छत पर सिल्लियो पर डाल दी। इस प्रकार मीराबाई ने छत तैयार कर दी। 

बारिश तेज हो गई,और वह अपने कमरे में आ गई। अब उसे भीगने का डर न था, क्योंकि उसने उस कमरे की छत खुद ही बना डाली थी। 

अगले दिन बाबा को जब सुबह पता चला कि मीराबाई ने कमरे की छत डाल दी तो उसे आश्चर्य हुआ और उसने उसे मन्दिर में हमेशा के लिए शरण दे दी, ताकि वह खेल की तैयारी वहीं रहकर कर सके, क्योंकि वहाँं से खुमन लंपक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स निकट था। 

बाबा उसके लिए खुद चावल तैयार करके खिलाते और मीराबाई ने कक्षों को गाय के गोबर और पीली माटी से लिपकर सुन्दर बना दिया था। 

समय मिलने पर बाबा उसे एक किताब थमा देते,जिसे वह पढ़कर सुनाया करती और उस किताब से उसके अन्दर धर्म के प्रति आस्था तो जागी ही साथ ही देशभक्ति भी जाग उठी।

इसके बाद मीराबाई चानू 11 साल की उम्र में अंडर-15 चैंपियन बन गई और 17 साल की उम्र में जूनियर चैंपियन का खिताब अपने नाम किया। 

लोहे की बार खरीदना परिवार के लिए भारी था। मानसिक रूप से परेशान हो उठी मीराबाई ने यह समस्या बाबा से बताई, तो बाबा बोले, ''बेटी चिंता न करो, शाम तक आओगी तो बार तैयार मिलेगा।''

वह शाम तक आई तो बाबा ने बांस की बार बनाकर तैयार कर दी, ताकि वह अभ्यास कर सके। 

बाबा ने उनकी भेंट कुंजुरानी से करवाई। उन दिनों मणिपुर की महिला वेटलिफ़्टर कुंजुरानी देवी स्टार थीं और एथेंस ओलंपिक में खेलने गई थीं। 

इसके बाद तो मीराबाई ने कुंजुरानी को अपना आदर्श मान लिया और कुंजुरानी ने बाबा के आग्रह पर इसकी हर संभव सहायता करने का बीड़ा उठाया।

जिस कुंजुरानी को देखकर मीरा के मन में विश्व चैंपियन बनने का सपना जागा था, अपनी उसी आइडल के 12 साल पुराने राष्ट्रीय रिकॉर्ड को मीरा ने 2016 में तोड़ा, वह भी 192 किलोग्राम वज़न उठाकर।

मीरा बाई को पुराने बरतनों में चावल परोसा गया था

2017 में विश्व भारोत्तोलन चैम्पियनशिप, अनाहाइम, कैलीफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका में उसे भाग लेने का अवसर मिला। 

मुकाबले से पहले एक सहभोज में उसे भाग लेना पड़ा। सहभोज में अमेरिकी राष्ट्रपति मुख्य अतिथि थे। 

राष्ट्रपति ने देखा कि मीराबाई को उसके सामने ही पुराने बर्तनों में चावल परोसा गया, जबकि सब होटल के शानदार बर्तनों में शाही भोजन का लुत्फ ले रहे थे। 

राष्ट्रपति ने प्रश्न किया, ''इस खिलाड़ी को पुराने बर्तनों में चावल क्यों परोसा गया, क्या हमारा देश इतना गरीब है कि एक लड़की के लिए बर्तन कम पड़ गए, या फिर इससे भेदभाव किया जा रहा है, यह अछूत है क्या ?''

''नहीं महामहिम ऐसी बात नहीं है,'' उसे खाना परोस रहे लोगों से जवाब मिला, '' इसका नाम मीराबाई है। यह जिस भी देश में जाती है, वहाँं अपने देश भारत के चावल ले जाती है। यह विदेश में जहाँ भी होती है, भारत के ही चावल उबालकर खाती है। यहाँ भी ये चावल खुद ही अपने कमरे से उबालकर लाई है ।''

''ऐसा क्यों ?'' राष्ट्रपति ने मीराबाई की ओर देखते हुए उससे पूछा।

''महामहिम, मेरे देश का अन्न खाने के लिए देवता भी तरसते हैं, इसलिए मैं अपने ही देश का अन्न खाती हूँ।''

''ओह् बहुत देशभक्त हो तुम, जिस गांव में तुम्हारा जन्म हुआ, भारत में जाकर उस गांव के एकबार अवश्य दर्शन करूंगा।'' राष्ट्रपति बोले।

''महामहिम इसके लिए मेरे गांव में जाने की क्या जरूरत है ?''

''क्यों ?''

''मेरा मेरा गांव मेरे साथ है, मैं उसके दर्शन यहीं करा देती हूँं।''

''अच्छा कराइए दर्शन!'' कहते हुए उस मूर्ख लड़की की बात पर हंस पड़े राष्ट्रपति।

मीराबाई अपने साथ हैंडबैग लिए हुए थी,उसने उसमें से एक पोटली खोली, फिर उसे पहले खुद माथे से लगाया फिर राष्ट्रपति की ओर करते हुए बोली, ''यह रहा मेरा पावन गांव और महान देश।''

''यह क्या ह ै?'' राष्ट्रपति पोटली देखते हुए बोले, ''इसमें तो मिट्टी है ?''

''हाँ यह मेरे गांव की पावन मिट्टी है, इसमें मेरे देश के देशभक्तों का लहू मिला हुआ, सरदार भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद का लहू इस मिट्टी में मिला हुआ है, इसलिए यह मिट्टी नहीं, मेरा सम्पूर्ण भारत हैं...''

''ऐसी शिक्षा तुमने किस विश्वविद्यालय से पाई चानू ?''

''महामहिम ऐसी शिक्षा विश्वविद्यालय में नहीं दी जाती, विश्वविद्यालय में तो मैकाले की शिक्षा दी जाती है, ऐसी शिक्षा तो गुरु के चरणों में मिलती है, मुझे आर्य समाज में हवन करने वाले बाबा से यह शिक्षा मिली है, मैं उन्हें सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर सुनाती थी, उसी से ​मुझे देशभक्ति की प्रेरणा मिली।''

''सत्यार्थ प्रकाश ?''

''हाँं सत्यार्थ प्रकाश,'' चानू ने अपने हैंडबैग से सत्यार्थ प्रकाश की प्रति निकाली और राष्ट्रपति को थमा दी, ''आप रख लीजिए मैं हवन करने वाले बाबा से और ले लूंगी।''

''कल गोल्डमैडल तुम्हीं जितोगी,'' राष्ट्रपति आगे बोले, ''मैंने पढ़ा है कि तुम्हारे भगवान हनुमानजी ने पहाड़ हाथों पर उठा लिया था, लेकिन कल यदि तुम्हारे मुकाबले हनुमानजी भी आ जाएं तो भी तुम ही जितोगी...तुम्हारा भगवान भी हार जाएगा, तुम्हारे सामने कल।'' 

मीरा बाई चानू का जुठा खाना खाया राष्ट्रपति ने

राष्ट्रपति ने वह किताब एक अधिकारी को देते फिर आदेश दिया, ''इस किताब को अनुसंधान के लिए भेज दो कि इसमें क्या है, जिसे पढ़ने के बाद इस लड़की में इतनी देशभक्ति उबाल मारने लगी कि अपनी ही धरती के चावल लाकर हमारे सबसे बड़े होटल में उबालकर खाने लगी।''

चानू चावल खा चुकी थी, उसमें एक चावल कहीं लगा रह गया, तो राष्ट्रपति ने उसकी प्लेट से वह चावल का दाना उठाया और मुँह में डालकर उठकर चलते बने। 

''बस मुख से यही निकला, ''यकीनन कल का गोल्ड मैडल यही लड़की जितेगी, देवभूमि का अन्न खाती है यह।''

और अगले दिन मीराबाई ने स्वर्ण पदक जीत ही लिया, लेकिन किसी को इस पर आश्चर्य नहीं था, सिवाय भारत की जनता के... 

अमेरिका तो पहले ही जान चुका था कि वह जीतेगी,बीबीसी जीतने से पहले ही लीड़ खबर बना चुका था ।

जीतते ही बीबीसी पाठकों के सामने था, जबकि भारतीय मीडिया अभी तक लीड खबर आने का इंतजार कर रही थी।

इसके बाद  चानू ने 196 किग्रा, जिसमे 86 kg स्नैच में तथा 110 किग्रा क्लीन एण्ड जर्क में था, का वजन उठाकर भारत को 2018 राष्ट्रमण्डल खेलों का पहला स्वर्ण पदक दिलाया। 

इसके साथ ही उन्होंने 48 किग्रा श्रेणी का राष्ट्रमण्डल खेलों का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया।

2018 राष्ट्रमण्डल खेलों में विश्व कीर्तिमान के साथ स्वर्ण जीतने पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने ₹15 लाख की नकद धनराशि देने की घोषणा की। 

2018 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया। 

यह पुरस्कार मिलने पर मीराबाई ने सबसे पहले अपने घर के लिए एक बैलगाड़ी खरीदी और बाबा के मन्दिर को पक्का करने के लिए एक लाख रुपए उन्हें गुरु दक्षिणा में दिए।

टोक्यो ओलंपिक्स में भारोतोलन में मीरा बाई चानु ने सिल्वर मेडल जीतकर हमारे देश का मान बढ़ाया है । 21 वर्षो के बाद अब वह भारोतोलन में पदक जीतने वाली दूसरी महिला बन गई । आज देश में खुशी का माहौल है । राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री , गृहमंत्री और अन्य विशिष्ट लोगों ने आज उसको हार्दिक बधाई दी है ।



उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, 2021

उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, 2021

उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, 2021


माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने  UP Population Control Bill 2021  देश की सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसको वेबसाइट पर अपलोड कर जनता से 19.07.2021 तक ईमेल या पोस्ट द्वारा सुझाव मांगा गया है। 


यह ड्राफ्ट पूरी तरीके से Two Child Policy पर आधारित है जिसका लक्ष्य है जन्मदर को कम कर जनख्या नियंत्रण, वर्तमान में up की जन्मदर 2.7% है जिसे 2030 तक 1.9% तक लाने का लक्ष्य रखा गया है।

इस ड्राफ्ट में उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानूनी उपायों के रास्ते सुझाए गए हैं। दो या दो से कम बच्चे वाले  को तमाम सुविधा देने की बात कही गई है वही दो से अधिक बच्चे वाले को कई सुविधाओं से वंचित रखने का जिक्र किया गया है ।

तो आइए जानते है उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) विधेयक, 2021 नीति के ड्राफ्ट के अनुपालन हेतु मिलने वाले लाभ तथा अनुपालन नहीं करने पर क्या होगा हानि क्या है? इस ड्राफ्ट में कुल 30 अधिनियम है जो इस प्रकार है।

1. इस अधिनियम को उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) अधिनियम, 2021 कहा जाएगा 

2. इसका विस्तार पूरे उत्तर प्रदेश में होगा। 

3. यह राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से एक वर्ष के बाद  लागू होगा।


बशर्ते कि इस अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के लिए अलग-अलग तिथियां नियत की जा सकती हैं और इस अधिनियम के प्रारंभ के लिए ऐसे किसी प्रावधान में किसी भी संदर्भ को उस प्रावधान के लागू होने के संदर्भ के रूप में माना जाएगा। 

इस अधिनियम के प्रावधान एक विवाहित जोड़े पर लागू होंगे जहां लड़के की आयु इक्कीस वर्ष से कम नहीं है और लड़की की आयु अठारह वर्ष से कम नहीं है। 

ऐसे मामलों में भी लागू होंगे जहां किसी व्यक्ति को नियंत्रित करने वाला धार्मिक या व्यक्तिगत कानून बहुविवाह या बहुपत्नी विवाह की अनुमति देता है, वहां विवाहित जोड़े का एक समूह हो सकता है, जिनमें से प्रत्येक में केवल एक पुरुष और एक महिला शामिल होगी, हालांकि पति या पत्नी प्रत्येक सेट में common हो सकते हैं। जैसे की माना किसी व्यक्ति A की तीन पत्नियां B, C तथा D हैं जिनमे से A व B , A व C तथा A व D भले ही पति पत्नी की तीन अलग अलग जोड़ी हो सकतें है लेकिन इनको सिंगल बॉडी के रूप में गणना किया जाएगा। 

ठीक इसी प्रकार यदि एक महिला  एक से ज्यादा पति रखती है तो भी उस पर यह नियम लागू होगा।

4.लोक सेवकों को प्रोत्साहन Incentives to Public servants

तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य कानून में किसी बात के होते हुए भी, राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन लोक सेवक जो स्वयं या पति/पत्नी पर स्वैच्छिक नसबंदी ऑपरेशन करवाकर दो-बच्चे के मानदंड को अपनाते हैं, उन्हें निम्नलिखित प्रोत्साहन दिए जाएंगे-

  • पूरी सेवा के दौरान दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि;
  • हाउसिंग बोर्ड या विकास प्राधिकरण से प्लॉट या हाउस साइट या निर्मित घर की खरीद के लिए सब्सिडी, जैसा कि निर्धारित किया जा सकता है;
  • मामूली ब्याज दरों पर घर बनाने या खरीदने के लिए सॉफ्ट लोन, जैसा कि निर्धारित किया जा सकता है;
  • पानी, बिजली, पानी, गृह कर जैसी उपयोगिताओं के लिए शुल्क में छूट, जैसा कि निर्धारित किया जा सकता है;
  • मातृत्व या जैसा भी मामला हो, पूरे वेतन और भत्तों के साथ 12 महीने का पितृत्व अवकाश;
  • राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) के तहत नियोक्ता अंशदान कोष में तीन प्रतिशत की वृद्धि 
  • जीवनसाथी को मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल सुविधा और बीमा कवरेज; तथा ऐसे अन्य लाभ और प्रोत्साहन, जो निर्धारित किए जा सकते हैं।

5. लोक सेवकों को अतिरिक्त प्रोत्साहन -  Additional Incentives to  Public servants

-इस समय लागू किसी अन्य कानून में किसी भी बात के होते हुए भी, लोक सेवक, जिसकी केवल एक संतान है और धारा 4 के तहत प्रदान किए गए प्रोत्साहन के अलावा, स्वयं या पति या पत्नी पर स्वैच्छिक नसबंदी ऑपरेशन से गुजरना पड़ता है, को निम्नलिखित दिया जाएगा प्रोत्साहन राशि,-

  • संपूर्ण सेवाओं के दौरान दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि बशर्ते कि प्रदान की गई अतिरिक्त वेतन वृद्धि धारा 4 के तहत प्रदान की गई वेतन वृद्धि के अतिरिक्त होगी
  • बीस वर्ष की आयु प्राप्त करने तक एकल बच्चे को मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल सुविधा और बीमा कवरेज;
  • भारतीय प्रबंधन संस्थान, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान आदि सहित सभी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में एकल बच्चे को वरीयता;
  • स्नातक स्तर तक मुफ्त शिक्षा;
  • बालिका के मामले में उच्च अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति;
  • सरकारी नौकरियों में एकल बच्चे को वरीयता; तथा ऐसे अन्य लाभ और प्रोत्साहन, जो निर्धारित किए जा सकते हैं।    

6. आम जनता के लिए प्रोत्साहन का  विस्तार-Incentives to General  Public


(A) किसी भी अन्य कानून में कुछ समय के लिए लागू होने के बावजूद, लोक सेवक के अलावा कोई भी व्यक्ति, जो स्वयं या पति या पत्नी पर स्वैच्छिक नसबंदी ऑपरेशन करके दो बच्चे के मानदंड को अपनाता है,  तो उसे भी  धारा 4 में वर्णित  अतिरिक्त वेतन वृद्धि एवम राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) के तहत नियोक्ता अंशदान कोष में तीन प्रतिशत की वृद्धि को छोड़कर बाकी सभी लाभ का हकदार होगा ।

(B) किसी भी अन्य कानून में कुछ समय के लिए लागू होने के बावजूद, लोक सेवक के अलावा कोई भी व्यक्ति, जिसकी केवल एक संतान है और उप-धारा (A) के तहत प्रदान किए गए प्रोत्साहन के अलावा, स्वयं या पति या पत्नी पर स्वैच्छिक नसबंदी ऑपरेशन से गुजरना पड़ता है। ) इस खंड के, धारा 5 में वर्णित  अतिरिक्त वेतन वृद्धि एवम राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) के तहत नियोक्ता अंशदान कोष में तीन प्रतिशत की वृद्धि को छोड़कर बाकी सभी लाभ का हकदार होगा । 

7. गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले दम्पति को  विशेष लाभ।

- इस अधिनियम या उस समय लागू किसी अन्य कानून में किसी भी बात के होते हुए भी, गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाला एक दंपत्ति, जिसका केवल एक बच्चा है और जो स्वयं या पति या पत्नी पर स्वैच्छिक नसबंदी ऑपरेशन करवाता है, सरकार से भुगतान के लिए पात्र होगा - एकल बच्चा लड़का होने पर अस्सी हजार रुपये और एकल बच्चा लड़की होने पर एक लाख रुपये की एकमुश्त राशि। 

8. प्रोत्साहनों का निरसन आदि-  Abolish of  Incentives etc.

जो कोई भी, इस अधिनियम के लागू होने के बाद, दो बच्चों के मानदंड के उल्लंघन में, दो से अधिक बच्चे पैदा करता है, वह धारा (4) से धारा (7) के तहत प्रदान किए गए किसी भी प्रोत्साहन और लाभों का लाभ उठाने के लिए अपात्र होगा। इसके अतिरिक्त  निरुत्साहन जैसे-

  • सरकार द्वारा प्रायोजित कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित करना।
  • राशन कार्ड इकाइयों की सीमा चार तक।
  • अन्य निरुत्साहन जैसा कि निर्धारित किया जा सकता है।

9. स्थानीय निकाय आदि के चुनाव लड़ने पर रोक-


(A) तत्समय प्रवृत्त किसी भी निर्वाचन कानून में किसी बात के होते हुए भी, जो कोई भी इस अधिनियम के लागू होने के बाद दो संतान मानदंड के उल्लंघन में दो से अधिक बच्चे पैदा करता है, वह अपात्र होगा। स्थानीय प्राधिकरण या स्थानीय स्व-सरकार के किसी भी निकाय के चुनाव लड़ने के लिए।
ऐसे व्यक्ति के मामले में लागू नहीं होगी, जो पहले से ही स्थानीय निकाय या स्थानीय स्वशासन के किसी भी निकाय का सदस्य है, जिसके इस अधिनियम के प्रारंभ के समय दो से अधिक बच्चे हैं।

(B) स्थानीय निकाय के प्रत्येक सदस्य या स्थानीय स्वशासन के किसी भी निकाय, जिसके इस अधिनियम के प्रारंभ होने के समय दो से अधिक बच्चे हैं, को इस आशय का वचन देना होगा कि वे दो बच्चों के मानदंड के उल्लंघन में कार्य नहीं करेंगे। 

(C) उप-धारा (B) के तहत ऐसा प्रत्येक आवेदन इस अधिनियम के प्रारंभ होने की तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर निर्धारित तरीके से किया जाना है।

(D) यदि स्थानीय निकाय के किसी सदस्य या स्थानीय स्वशासन के किसी निकाय की कोई कार्रवाई उसके द्वारा उप-धारा (B) के तहत दिए गए उपक्रम के उल्लंघन में पाई जाती है, तो उसे स्थानीय निकाय के सदस्य के रूप में उसके पद से बर्खास्त कर दिया जाएगा। या स्थानीय स्व का कोई निकाय-

(E) सरकार, जैसा भी मामला हो, तत्काल प्रभाव से और स्थानीय निकाय या स्थानीय स्वशासन के किसी भी निकाय के लिए आगे के चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया जाएगा। 

10. सरकारी नौकरियों में आवेदन करने  पर रोक


(A) फिलहाल लागू सरकारी कर्मचारियों के रोजगार से संबंधित किसी भी कानून में कुछ भी शामिल होने के बावजूद, जो कोई भी, इस अधिनियम के लागू होने के बाद, दो बच्चों के मानदंड के उल्लंघन में दो से अधिक बच्चे पैदा करता है, वह राज्य सरकार के सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने के लिए अपात्र होगा। 
उपधारा (A) किसी ऐसे व्यक्ति के मामले में लागू नहीं होगी, जो पहले से ही राज्य सरकार के अधीन सरकारी कर्मचारी हैै

(B) राज्य  सरकार के अधीन प्रत्येक सरकारी कर्मचारी, जिसके इस अधिनियम के लागू होने के समय दो से अधिक बच्चे हैं, को इस आशय का वचन देना होगा कि वे दो-बच्चों के मानदंड के उल्लंघन में कार्य नहीं करेंगे।

(C) उप-धारा (B) के तहत ऐसा प्रत्येक आवेदन इस अधिनियम के प्रारंभ होने की तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर किया जाना है।

(D) यदि राज्य सरकार के अधीन किसी सरकारी कर्मचारी की कोई कार्रवाई उसके द्वारा उप-धारा (B) के तहत दिए गए वचन का उल्लंघन करती हुई पाई जाती है, तो उसे तत्काल प्रभाव से उसकी नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा और भविष्य में राज्य सरकार के तहत किसी भी सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने से वंचित कर दिया जाएगा। 

11. सरकारी सेवाओं में पदोन्नति पर रोक


तत्समय प्रवृत्त सरकारी कर्मचारियों के नियोजन से संबंधित किसी भी कानून में किसी भी बात के होते हुए भी, राज्य सरकार के अधीन सरकारी नौकरियों का कोई भी कर्मचारी, इस अधिनियम के लागू होने के बाद, दो बच्चे के मानदंड के उल्लंघन में दो से अधिक बच्चे पैदा करेगा सरकारी सेवाओं में पदोन्नति पाने के लिए अपात्र होगा।
ऐसे व्यक्ति के मामले में लागू नहीं होगी, जो पहले से ही राज्य सरकार के अधीन एक सरकारी कर्मचारी है, जिसके इस अधिनियम के प्रारंभ होने के समय दो से अधिक बच्चे हैं। 

12. किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी प्राप्त  करने पर रोक-


सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सब्सिडी से संबंधित किसी भी कानून में किसी भी बात के होते हुए भी, कोई भी व्यक्ति जो इस अधिनियम के लागू होने के बाद, दो बच्चे के मानदंड के उल्लंघन में दो से अधिक बच्चे पैदा करता है, तो सरकार द्वारा जारी किसी भी प्रकार का सब्सिडी के लाभ का पात्र नहीं होगा। 
यह उपधारा उस व्यक्ति के मामले में लागू नहीं होगी, जिसके इस अधिनियम के प्रारंभ के समय दो से अधिक बच्चे हों।   

13. दूसरी गर्भावस्था से कई जन्म-  Multiple Birth out of Second  Pregnancy


इस अधिनियम या किसी अन्य कानून में कुछ भी शामिल होने के बावजूद, किसी व्यक्ति की कार्रवाई को इस अधिनियम के तहत दो बच्चे के मानदंड का उल्लंघन नहीं माना जाएगा, यदि वह पहली गर्भावस्था से पैदा हुआ बच्चा है, बाद में दूसरी गर्भावस्था से बाद में कई जन्मों के परिणामस्वरूप दो से अधिक बच्चे हैं


14. दत्तक ग्रहण - Adoption


इस अधिनियम या किसी अन्य कानून में निहित कुछ भी होने के बावजूद, किसी व्यक्ति की कार्रवाई को इस अधिनियम के तहत दो बच्चों के मानदंड का उल्लंघन नहीं माना जाएगा, यदि वह या जैसा भी मामला हो, वह अपनी शादी से दो बच्चे होने के कारण हिंदू दत्तक और रखरखाव अधिनियम, 1956 या किशोर न्याय अधिनियम, 2015, अभिभावक और वार्ड अधिनियम, 1890 के तहत तीसरे बच्चे को गोद लेते हैं।


15. पहले या दूसरे बच्चे की विकलांगता


इस या किसी अन्य कानून में कुछ भी शामिल होने के बावजूद, किसी व्यक्ति की कार्रवाई को इस अधिनियम के तहत दो बच्चे के मानदंड का उल्लंघन नहीं माना जाएगा, यदि दोनों में से कोई भी, या दोनों, पहले की गर्भावस्था से पैदा हुए बच्चे विकलांगता से पीड़ित हैं और दंपति बाद में तीसरे बच्चे की कल्पना करते हैं।

16. बच्चे की मृत्यु - 


इस अधिनियम या उस समय लागू किसी अन्य कानून में किसी भी बात के होते हुए भी, किसी व्यक्ति की कार्रवाई को इस अधिनियम के तहत दो बच्चे के मानदंड का उल्लंघन नहीं माना जाएगा, यदि या तो, या दोनों, उसके पहले के गर्भ से पैदा हुए बच्चों की मृत्यु हो जाती है और दंपति बाद में तीसरे बच्चे की कल्पना करता है।
इस धारा के तहत दंपति के बच्चों की कुल संख्या तीन से अधिक नहीं होगी, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहां कई जन्म हुए हैं।  

17. इस अधिनियम के प्रारंभ के समय  एक बच्चे की उम्मीद करने वाले  विवाहित जोड़े- 


इस अधिनियम या किसी अन्य कानून में कुछ भी शामिल होने के बावजूद, किसी व्यक्ति की कार्रवाई को इसके तहत दो बच्चे के मानदंड का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। अधिनियम, यदि उसकी शादी से पहले से ही दो बच्चे हैं, तो इस अधिनियम के लागू होने की तारीख से एक वर्ष के भीतर तीसरे बच्चे को गर्भ धारण करता है।
बशर्ते कि किसी भी मामले में इस धारा के तहत दंपति के बच्चों की कुल संख्या तीन से अधिक नहीं होगी, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहां कई जन्म हुए हैं।


18. बहुविवाह के मामलों में दो बालक  मानदंड के उल्लंघन का प्रभाव-


(A) इस अधिनियम या कुछ समय के लिए लागू किसी अन्य कानून में कुछ भी शामिल होने के बावजूद, यदि बहुविवाह के पति की कार्रवाई दो-बच्चे के मानदंड के उल्लंघन में है, तो उसे इस अधिनियम के तहत प्रदान किए गए किसी भी लाभ और प्रोत्साहन को प्राप्त करने से रोक दिया जाएगा। , और इसके अतिरिक्त, इस तरह के उल्लंघन के परिणामस्वरूप, इस अधिनियम के तहत प्रदान किए गए निरुत्साह का सामना करने के लिए उत्तरदायी होगा।

(B) इस अधिनियम या कुछ समय के लिए लागू किसी अन्य कानून में कुछ भी शामिल होने के बावजूद, केवल यह तथ्य कि बहुविवाह के पति की कार्रवाई दो-बच्चों के मानदंड के उल्लंघन में है, उसकी पत्नियों और उनके बच्चों को नहीं रोकेगा जो पात्र हैं इस अधिनियम के तहत प्रदान किए गए प्रोत्साहनों और लाभों का दावा करने के लिए।

यदि बहुविवाह की पत्नियों में से किसी की कार्रवाई दो-बच्चे के मानदंड के उल्लंघन में है, तो वह इस अधिनियम के तहत प्रदान किए गए लाभों और प्रोत्साहनों के लिए पात्र नहीं होगी, और इस तरह के उल्लंघन के लिए भी उत्तरदायी होगी। इस अधिनियम के तहत प्रदान किए गए निरुत्साह का सामना करने के लिए

इन सभी के अतिरिक्त 12 और महत्वपूर्ण अधिनियम है जो इस प्रकार है अतः कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) विधेयक, 2021 के अंतर्गत कुल 30 प्रस्तावित अधिनियम है।

19. बहुविवाह के मामलों में दो-बच्चे के मानदंड के उल्लंघन में कार्रवाई 

20. बहुपत्नी विवाहों के मामलों में दो-  बच्चे  के मानदंड के उल्लंघन का  प्रभाव-

21. बहुपत्नी विवाह के मामलों में दो-बच्चे के मानदंड के उल्लंघन में कार्रवाई- 

22. राज्य जनसंख्या कोष का गठन

23. सरकार के कर्तव्य 

24. स्कूल पाठ्यचर्या में जनसंख्या नियंत्रण का परिचय

25. गर्भ निरोधकों की उपलब्धता

26. ट्यूबेक्टॉमी या पुरुष नसबंदी की विफलता के मामलों को कवर करने  के लिए अनिवार्य बीमा-

27. अधिभावी प्रभाव

28. जमा पूंजी 

29. नियम बनाने की शक्ति

30. कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति 


Basic Concept of LCM and HCF

Basic Concept of LCM and HCF

Basic Concept of LCM and HCF


LCM- वह सबसे छोटी संख्या जो दो या दो से अधिक संख्याओं से पूर्णत विभाजित होती है उन संख्याओं का LCM कहलाती है उदाहरण 4, 6, 8 और 24 का ल. स. 24 होगा क्योंकि 24 एक न्यूनतम संख्या है जो दी हुई संख्याओं से पूर्ण विभाजित है 

किन्ही दो या दो से अधिक संख्याओं का  LCM उन संख्याओं में सबसे बड़ी संख्या के बराबर या उससे बड़ी होती है तथा उन सभी संख्याओं से पूर्णत विभाजित होती है

जैसे 4, 6, 8और 24 का लघुत्तम समापवर्त्य (LCM) 24 है जो की सबसे बड़ी संख्या 24 के बराबर है तथा 4, 6, 8और 24 से पूर्णतः विभाजित है।



हमें किन्हीं दो या दो से अधिक संख्याओं का LCM निकालना हो तो सबसे पहले उन सभी संख्याओं का table लिख ले तथा उसके बाद  टेबल में से जितने भी कॉमन संख्या है सब को एक जगह लिख ले उन सभी कॉमन  संख्याओं में जो सबसे छोटी संख्या होगी वही उन सभी संख्याओं का LCM होगी।

लघुत्तम समापवर्तक (LCM) ज्ञात करने की विधियां 


(I) अभाज्य गुणनखंड विधि - इस विधि में सर्वप्रथम दी गई संख्याओं को बारी-बारी से अभाज्य गुणनखंड के रूप में बदल दिया जाता है फिर उसे अभाज्य संख्याओं के घात power के रूप में परिवर्तित किया जाता है पुनः सभी संख्याओं के गुणनखंड में सभी अभाज्य संख्याओं के अधिकतम घात की संख्या को गुणा करके प्राप्त किया जाता है 

उदाहरणार्थ 9, 12, 15 और 25 का LCM निम्नलिखित तरीके से ज्ञात किया जा सकता है

9=3x3=3^2

12=2x2x3=2^2x3

15=3x5

25=5x5=5^2

इस प्रकार LCM=3^2x2^2x5^2=9x4x25=900


(ii) दूसरी विधि - दी गई संख्याओं का LCM निकालने की अन्य विधियां हैं जो अपेक्षाकृत अधिक प्रचलित है इस विधि के अंतर्गत सर्वप्रथम संख्याओं को एक पंक्ति में लिखा जाता है तत्पश्चात उसमें विभिन्न अंको से भाग दिया जाता है भाग देते समय इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि कम से कम 2 संख्या विभाजित हो यह क्रिया अंत तक दूहराते हैं फिर सभी भाजक और अंतिम पंक्ति की संख्याओं को लेकर गुणा करने से प्राप्त संख्या ही दी गई संख्या का LCM होता है उदाहरण 36, 48, 80 तथा 96 का LCM निम्नलिखित तरह से ज्ञात किया जाता है


          2    36   48   80  96
          2    18  24   40   48
          2     9   12    20   24
          2     9    6      10   12
          3     9    3       5     6
                  3    1       5      2

अतः LCM 2x2x2x2x2x3x3x5=1440


HCF - दो या दो से अधिक संख्याओं का HCF वह अधिकतम संख्या होती है जिसके द्वारा दी गई संख्या पूर्णता विभाजित हो जाती है 

उदाहरणार्थ 21, 28 तथा 35 का HCF 7 है क्योंकि 7  वह अधिकतम संख्या है जिसके द्वारा दी गई संख्याए पूर्णत: विभाजित हो जाती हैं 


किन्ही दो या दो से अधिक संख्याओं का HCF उन दी गई सभी संख्याओं में से सबसे छोटी संख्या के बराबर या उससे भी छोटी होती है तथा उन दी गई सभी संख्याओं को पूर्णत: विभाजित करती है जैसे  21, 28 तथा 35 का HCF 7 है तथा 7 उनमें से सबसे छोटी संख्या 21 से भी छोटी है तथा सभी को पूर्णतः विभाजित भी कर सकती है।


महत्तम समापवर्तक (HCF) ज्ञात करने की विधियां 


(I) अभाज्य गुणनखंड - इस विधि के अंतर्गत सर्वप्रथम दी गई संख्याओं को अभाज्य गुणनखंड के रूप में व्यक्त किया जाता है तत्पश्चात उसे अभाज्य संख्याओं के घात power के रूप में लिखा जाता है वे संख्याएं जो सभी संख्याओं के गुणनखंड में उभयनिष्ठ common होती हैं अर्थात सभी में होती हैं वह संख्या ही दी गई संख्या का HCF कहलाती है।

उदाहरणार्थ 24, 40 तथा 64 का HCF निम्नलिखित तरीके से ज्ञात किया जाता है

24=2x2x2x3=2^3 x3

40=2x2x2x5=2^3 x5

64=2x2x2x2x2x2=2^6

यह common संख्या 2^3 जो सभी में है अतः HCF=2^3=8 होगा।


(ii) भाग विधि - इस विधि के अंतर्गत सबसे पहले जो संख्या दी गई है उसमे से कोई दो संख्याएं लेकर बड़ी संख्या को छोटी संख्या से भाग देते हैं जो शेष आता है उससे प्रथम भाजक में भाग देते हैं पुनः जो शेष आता है  उससे द्वितीय भजक में भाग देते हैं यह क्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि अंतिम शेष शून्य नहीं आ जाता इस प्रकार सबसे अंतिम भाजक ही दी गई संख्याओं का HCF होता है 156, 221, 364 का HCF  निम्नलिखत तरीके से ज्ञात किया जा सकता है


156)221(1                         13)364(28
        156                                  26
            65)156(2                     104
                  130                        104
                     26)65(2                X
                           52
                            13)26(2
                                  26
                                    X
 अतः HCF=13

(iii) दो या दो से अधिक संख्याओं का HCF अन्य विधि से भी ज्ञात किया जा सकता है इस विधि में दी गई संख्याओं की एक पंक्ति में लिखा जाता है तत्पश्चात एक ऐसी संख्या से भाग दिया जाता है जो सभी संख्याओं को विभाजित कर सके प्राप्त भागफलों को फिर ऐसी संख्या से भाग दिया जाता है जिससे सभी संख्या विभाजित हो जाए। पुनः प्राप्त संख्या यदि किसी संख्या से पूर्णतः विभाजित है तो पुनः भाग दिया जाना चाहिए यदि ऐसा नहीं है तो अब तक के भागों का गुणनफल ही दी गई संख्याओं का HCF होगा। 

उदाहरण 24, 36, 60 और 108 का HCF  निम्नलिखित तरीके से ज्ञात किया जा सकता है


            4     24  36   60   108
            3     6     9     15    27

अतः HCF=4x6=12

दो संख्याओं तथा उनके LCM और HCF के बीच संबंध 


यदि दो संख्याएं A तथा B है और उनके LCM तथा HCF क्रमशः L तथा H हैं तब- A x B = L x H होगा।


LCM तथा HCF पर कुछ महत्वपूर्ण Concept


(i) दो या दो से अधिक संख्याओं के LCM में उन संख्याओं से पूर्णत: भाग लगता ही है LCM के  मल्टीपल भी उन संख्याओं से पूर्णत विभाजित होती है 

जैसे 6 और 8 का LCM 24 है अतः 24,  6 व 8 से  पूर्णतः विभाजित  है ही 24 का कोई भी multiple भी 6 और 8 से पूरा विभाजित होगा।

(ii) दो संख्याओं का HCF तथा उन संख्याओं के योग और उनके LCM का HCF दोनों समान होता है

जैसे- संख्या 16 और 12 का HCF=4 तथा LCM=48

संख्या 16 और 12 का योग=28

अतः संख्या का योग 28 तथा संख्या का LCM 48 ka HCF भी 4 ही होगा।

(iii) यदि 2 या उससे अधिक संख्याओं के HCF से उन संख्याओं में भाग दिया जाए तो भागफल परस्पर अभाज्य संख्या (Prime Number) प्राप्त होती है

(iv) दो संख्याओं का HCF उन संख्याओं के योग अंतर तथा उसके किसी भी गुणज Multiple की संख्याओं के योग तथा अंतर का भी HCF होता है

सत्यापन:- 

माना दो संख्याएं P तथा Q हैं जिनका HCF, H हैं।

अतः P = H x a तथा Q = H x b जहा a तथा b कोई भी अभाज्या संख्या हो सकती है 

P+Q = Ha+Hb = H(a+b)

अतः HCF , H हुआ। इसी प्रकार अंतर तथा उनके मल्टीपल के अंतर या योगफल का भी सत्यापन किया जा सकता है।

अतः सब मिलकर आपको यह समझना है की संख्या का HCF वही होगा जो उनके योग तथा अंतर का HCF हैं।

maths के इस editorial में आज हम लोगो ने HCF तथा LCM के Concept को समझा यदि आपको  यह अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तो में शेयर करना ना भूले।