Pegasus क्या है यह कैसे काम करता है जाने इससे जुड़ी सभी जानकारी

Pegasus क्या है यह कैसे काम करता है जाने इससे जुड़ी सभी जानकारी

Pegasus क्या है यह कैसे काम करता है जाने इससे जुड़ी सभी जानकारी


पिछले 3 वर्षो के बाद पेगासस एक बार फिर चर्चा में है।

भारत के संसद में पेगासस को लेकर संसद के बाहर तथा भीतर घमासान लगा रहा।

इस हंगामे को लेकर संसद के मॉनसून सत्र का पहला दिन आखिरकार स्थगित करना पड़ा।

एक रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक वैश्विक सहयोगी जांच प्रोजेक्ट से पता चला है कि इजरायली कंपनी, एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर से भारत में 250 से अधिक मोबाइल नंबरों को टारगेट किया गया, जिसमें वर्तमान सरकार के दो मंत्री, तीन विपक्षी नेता, एक जज, कई पत्रकार और कई व्यवसाई शामिल हैं।

इस संदर्भ आइए हम लोग जानते है कि आखिर में ये पेगासस स्पाइवेयर है क्या तथा ये कैसे काम करता है तथा पहली बार कब पेगासस को लेकर चर्चा हुआ था ।

पेगासस स्पाइवेयर क्या है

पेगासस स्पाइवेयर जो कि डिज़िटल डिवाइस जैसे- कंप्यूटर, मोबाइल, टेबलेट से निजी जानकारियाँ चुराता है। यह जीमेल अकाउंट, बैंक डिटेल्स, सोशल मीडिया, टेक्स्ट मैसेज तथा फोन कॉल इत्यादि जैसी गतिविधियों पर नज़र रखता है तथा वहाँ से डेटा चोरी कर अपने संचालक तक पहुँचाता है।

पेगासस इज़रायली साइबर सुरक्षा कंपनी NSO द्वारा विकसित किया गया एक स्पाइवेयर (जासूसी करने वाला) सॉफ्टवेयर है।

पेगासस स्पाइवेयर उपयोगकर्त्ताओं के मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियाँ चोरी करता है एवं उन्हें नुकसान पहुँचाता है।

पेगासस ऑपरेटर उपयोगकर्त्ताओं के पास एक लिंकभेजता है, जिस पर क्लिक करते ही यह स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर उपयोगकर्त्ताओं की के मर्जी के बिना ही फोन में इंस्टाॅल हो जाता है।

अब इसके नए वर्जन में लिंक की भी आवश्यकता नहीं है यह सिर्फ एक मिस्ड काॅल या वीडियो कॉल के द्वारा ही फोन में इंस्टाॅल हो जाता है। पेगासस स्पाइवेयर इंस्टाॅल होने के बाद फोन में उपलब्ध सभी जानकारी अपने ऑपरेटर तक पहुंचता है।

पेगासस स्पाइवेयर की एक प्रमुख विशेषता है कि यह पासवर्ड द्वारा रक्षित उपकरणों को में भी घुस सकता है तथा मोबाइल के रोमिंग में होने पर उसकी डेटा को चुरा नहीं सकता ।


पेगासस स्पाइवेयर, प्रयोगकर्त्ता के मोबाइल फोन या किसी प्रकार के उपकरण की कुल मेमोरी का नामात्र हिस्सा लगभग 5% से भी कम प्रयोग करता है, जिससे उपयोगकर्ता को उसके उपकरण में पेगासस स्पाइवेयर का होने का आभास भी नहीं होता। 

पेगासस स्पाइवेयर, एंड्रॉयड फोन के साथ साथ आईओएस (आईफोन) जैसे उपकरणों को भी हानि पहुंचा सकता है।


एनएसओ समूह (NSO Group) क्या है?


एनएसओ समूह एक साइबर सिक्योरिटी कंपनी है जो ‘निगरानी प्रौद्योगिकी’ में स्पेशलिस्ट है और दुनिया भर में सरकारों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अपराध और आतंकवाद से लड़ने में मदद करने का दावा करती है. एनएसओ समूह 40 देशों में अपने ग्राहकों को 60 खुफिया, सैन्य और कानून-प्रवर्तन एजेंसियों के रूप में बताता है.

हालांकि वह क्लाइंट गोपनीयता का हवाला देते हुए उनमें से किसी की पहचान उजागर नहीं करता है. कैलिफोर्निया में व्हाट्सएप द्वारा पहले के मुकदमे का जवाब देते हुए, एनएसओ ग्रुप ने कहा था कि पेगासस का इस्तेमाल अन्य देशों में सिर्फ संप्रभु सरकारों या उनकी सस्थाओं द्वारा किया जाता है।


पहली बार कब देखा गया पेगासस स्पाइवेयर


पेगासस स्पाइवेयर पर पहली रिपोर्ट तब सामने आई जब संयुक्त अरब अमीरात में एक मानवाधिकार कार्यकर्त्ता को वर्ष 2016 में जब उनके आईफोन 6 पर एक एसएमएस लिंक के साथ निशाना बनाया गया था।

इसके बाद साल न्यूयॉर्क टाइम्स में वर्ष 2017 में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक मेक्सिको की सरकार पर पेगासस की मदद से मोबाइल की जासूसी करने वाला उपकरण बनाने का आरोप लगा ।

WhatsApp के मालिक फेसबुक ने अक्टूबर 2019 में NSO ग्रुप के खिलाफ मुकदमा दाखिल किया था कि इसके पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर दुनियाभर में WhatsApp के 1400 यूजर्स को निशाना बनाया गया।

इन आरोपों का जवाब देते हुए NSO ग्रुप ने अपने जवाब में कहा था कि 1400 WhatsApp यूजर को मैसेज करने के लिए पेगेसस इस्तेमाल विदेशी देशों की सरकारों द्वारा किया गया था।

मई 2020 में आई एक रिपोर्ट में एनएसओ ग्रुप पर आरोप लगाया गया कि इसने फ़ेसबुक की तरह दिखने वाली वेबसाइट के माध्यम से यूज़र्स के फ़ोन में हैकिंग सॉफ्टवेयर डालने की कोशिश की थी।

फरवरी 2021 में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय लिया गया कि WhatsApp पेगासस स्पाइवेयर के खिलाफ पूरी तरीके से सुरक्षित नही है अतः इसे पेमेंट की अनुमति नहीं दी जानी चाहिये।

पेगासस ज़्यादातर लेटेस्ट डिवाइस मॉडल और ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ जुड़ा होता है। इसे इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि डिवाइस यूज़र को डिवाइस में स्पाइवेयर के होने का पता न चल सके।

कई बार कंपनियाँ अपने कंप्यूटर सिस्टम में खुद स्पाइवेयर डलवाती हैं ताकि ये पता कर सकें कि कर्मचारी अपना काम सही तरीके से कर रहे हैं या नहीं।


पेगासस स्पाइवेयर से बचने की उपाय


स्पाइवेयर की जासूसी से बचने के लिये कंप्यूटर एवं मोबाइल में एंटी स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने के साथ ही समय-समय पर इसे अपडेट करते रहें।

इंटरनेट पर कोई जानकारी सर्च करते समय केवल विश्वसनीय वेबसाइट पर ही क्लिक करें।

इंटरनेट बैंकिंग या किसी भी ज़रूरी अकाउंट को कार्य पूरा होने के पश्चात् लॉग आउट करें।

पासवर्ड टाइप करने के बाद ‘रिमेंबर’ पासवर्ड या ‘कीप लॉगइन’ जैसे ऑप्शन पर क्लिक न करें।

साइबर कैफे, ऑफिस या सार्वजनिक सिस्टम पर बैंकिंग लेन-देन न करें।

जन्मतिथि या अपने नाम जैसे साधारण पासवर्ड न बनाएँ, पासवर्ड में लेटर, नंबर और स्पेशल कैरेक्टर का मिश्रण रखें। 

सोशल मीडिया, e-Mail, बैंकिंग इत्यादि के पासवर्ड अलग-अलग रखें। बैंक के दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन करें। बैंक की तरफ से आए किसी भी तरह के अलर्ट मेसेज को नज़रअंदाज़ न करें एवं डेबिट कार्ड का पिन नंबर नियमित अंतराल पर बदलते रहें।


पेगासस स्पाइवेयर द्वारा फोन के साथ छेड़छाड़ का पता लगाने का तरीका


क्या हमारा फोन पेगासस से सुरक्षित है की नहीं इसका पता कैसे लगाएं इसके लिए आइए हम जानते है कि क्या कोई ऐसा तरीका है जिसके माध्यम से हम यह पता लगा सके की हमारा फोन सुरक्षित है की नही।

एमनेस्टी इंटरनेशनल के द्वारा एक टूल विकसित किया है जो बता सकता है कि आपका फोन स्पाईवेयर से संक्रमित हुआ है या नहीं। 

इसके लिए आपको एक मैथड मोबाइल वेरिफिकेशन टूल यानी MVT से होकर गुजरना पड़ेगा।

मोबाइल वैरिफिकेशन टूल का यह बताने में मदद करना है कि पेगासस ने डिवाइस को नुकसान पहुंचाया है या नहीं। 

MVT Android और iOS दोनों डिवाइसों पर काम करता है, इसके लिए कमांड लाइन की जानकारी की आवश्यकता होती है। 







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